Friday, November 22, 2019

Ram bhajan lyrics

कोर्ट फैसला जो भी दिया है उसका सब सम्मान करो
कौसल्या नन्दन राम लला के मन्दिर का निर्माण करो

जब जब जब जब कोई फैसला होता होती सत्यजीत सदा
यह अवध भूमि है श्री राम का राम ना होंगे कभी जुदा

अवध में कड़ कड़ राम विराजे सभी इन्हें प्रणाम करो

अब दूर नहीं है अवध धाम में जल्दी वह दिन आएगा
बनेगी मंदिर राम लला की भगवा रंग लहराएगा

सुप्रीम कोर्ट  फैसले पर ना कोई विवाद बयान करो




Rishi 

Wednesday, November 6, 2019

*🔥परमात्मा का दंड🔥*


*गया के आकाशगंगा पहाड़ पर एक परमहंस जी वास करते थे।एक दिन परमहंस जी के शिष्य ने एकादशी के दिन निर्जला उपवास करके द्वादशी के दिन प्रातः उठकर फल्गु नदी में स्नान किया*
*विष्णुपद का दर्शन करने में उन्हें थोड़ा विलम्ब हो गया। वे साथ में एक गोपाल जी को सर्वदा ही रखते थे। द्वादशी के पारण का समय बीतता जा रहा था, देखकर वे अधीर हो गये एवं शीघ्र एक हलवाई की दुकान में जाकर उन्होंने दुकानदार से कहा..*
*पारण का समय निकला जा रहा है, मुझे कुछ मिठाई दे दो, गोपाल जी को भोग लगाकर मैं थोड़ा जल ग्रहण करुँगा।दुकानदार उनकी बात अनसुनी कर दी। साधु के तीन - चार बार माँगने पर भी हाँ ना कुछ भी उत्तर नहीं मिलने से व्यग्र होकर एक बताशा लेने के लिए जैसे ही उन्होने हाथ बढ़ाया, दुकानदार और उसके पुत्र ने साधु की खुब पिटाई की*
*निर्जला उपवास के कारण साधु दुर्बल थे, इस प्रकार के प्रहार से वे सीधे गिर पड़े।रास्ते के लोगों ने बहुत प्रयास करके साधु की रक्षा की।साधु ने दुकानदार से एक शब्द भी नहीं कहा, ऊपर की ओर देखकर थोड़ा हँसते हुए प्रणाम करके कहा-भली रे दयालु गुरुजी, तेरी लीला।केवल इतना कहकर साधु पहाड़ की ओर चले गये।*
*गुरुदेव परमहंस जी पहाड़ पर ध्यानमग्न बैठे हुए थे, एकाएक चौक उठे एवं चट्टान से नीचे कूदकर बड़ी तीव्र गति से गोदावरी नामक रास्ते की ओर चलने लगे।रास्ते में शिष्य को देखकर परमहंस जी कहा 'क्यो रे बच्चा, क्या किया ? शिष्य ने कहा, गुरुदेव मैने तो कुछ नहीं किया।*
*परमहंस जी ने कहा, बहुत किया। तुमने बहुत बुरा काम किया।रामजी के ऊपर बिल्कुल छोड़ दिया। जाकर देखो, रामजी ने उसका कैसा हाल किया। यह कहकर शिष्य को लेकर परमहंस जी हलवाई की दुकान के पास जा पहुँचे।उन्होंने देखा हलवाई का सर्वनाश हो गया है।*
*साधु को पीटने के बाद, जलाने की लकड़ी लाने के लिए हलवाई का लड़का जैसे ही कोठरी में घुसा था उसी समय एक काले नाग ने उसे डस लिया।हलवाई घी गर्म कर रहा था, सर्पदंश से मृत अपने पुत्र को देखने दौड़ा। उधर चूल्हे पर रखे घी के जलने से दुकान की फूस की छत पर आग लग गई।परमहंस जी ने देखा, लड़का रास्ते पर मृतवत पड़ा है, दुकान धू-धू करके जल रही है, रास्ते के लोग हाहाकार कर रहे है। भयानक दृश्य था।*
*परमहंस जी शिष्य को लेकर पहाड़ पर आ गए। शिष्य को खूब फटकारते हुए कहा कि बिना अपराध के कोई अत्याचार करता है, तो क्रोध न आने पर भी साधु पुरुष को कम-से-कम एक गाली ही देकर आना चाहिए। साधु के थोड़ा भी प्रतिकार करने से अत्याचारी की रक्षा हो जाती है,परमात्मा के ऊपर सब भार छोड़ देने से परमात्मा बहुत कठोर दंड देते हैं। परमात्मा का दंड बड़ा भयानक है।* 

🔥उम्मीद की किरण🔥



*एक बार एक आदमी रेगिस्तान में कहीं भटक गया। उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी-बहुत चीजें थीं वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं और पिछले दो दिनों से वो पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था।वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घंटों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत पक्की है।पर कहीं न कहीँ उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा… तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई दी! उसे अपनी आँखों यकीन नहीं हुआ..पहले भी वह मृगतृष्णा और भ्रम के कारण धोखा खा चुका था…पर बेचारे के पास यकीन करने के अलावा को चारा भी तो न था! आखिर ये उसकी आखिरी उम्मीद जो थी!*
*वह अपनी बची-खुची ताकत से झोपडी की तरफ रेंगने लगा…जैसे-जैसे करीब पहुँचता उसकी उम्मीद बढती जाती… और इस बार भाग्य भी उसके साथ था, सचमुच वहां एक झोपड़ी थी!पर ये क्या? झोपडी तो वीरान पड़ी थी! मानो सालों से कोई वहां भटका न हो। फिर भी पानी की उम्मीद में आदमी झोपड़ी के अन्दर घुसा… अन्दर का नजारा देख उसे अपनी आँखों पे यकीन नहीं हुआ…वहां एक हैण्ड पंप लगा था, आदमी एक नयी उर्जा से भर गया…पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता वह तेजी से हैण्ड पंप चलाने लगा। लेकिंग हैण्ड पंप तो कब का सूख चुका था…आदमी निराश हो गया…उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता…वह निढाल हो कर गिर पड़ा!*
*तभी उसे झोपड़ी के छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखी! वह किसी तरह उसकी तरफ लपका!वह उसे खोल कर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज़ दिखा….उस पर लिखा था इस पानी का प्रयोग हैण्ड पंप चलाने के लिए करो…और वापस बोतल भर कर रखना नहीं भूलना।*
*ये एक अजीब सी स्थिति थी, आदमी को समझ नहीं आ रहा था कि वो पानी पिए या उसे हैण्ड पंप में डालकर उसे चालू करे!उसके मन में तमाम सवाल उठने लगे… अगर पानी डालने पे भी पंप नहीं चला….अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुई…और क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो…लेकिन क्या पता पंप चल ही पड़े….क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो…वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे!फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से पानी पंप में डालने लगा। पानी डालकर उसने भगवान् से प्रार्थना की और पंप चलाने लगा…एक-दो-तीन….और हैण्ड पंप से ठंडा-ठंडा पानी निकलने लगा!वो पानी किसी अमृत से कम नहीं था… आदमी ने जी भर के पानी पिया, उसकी जान में जान आ गयी, दिमाग काम करने लगा। उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया। जब वो ऐसा कर रहा था तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी। खोला तो उसमे एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था जिसमे रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था।*
*आदमी ने रास्ता याद कर लिया और नक़्शे वाली बोतल को वापस वहीँ रख दया। इसके बाद वो अपनी बोतलों में पानी भर कर वहां से जाने लगा…कुछ आगे बढ़ कर उसने एक बार पीछे मुड़ कर देखा…फिर कुछ सोच कर वापस उस झोपडी में गया और पानी से भरी बोतल पे चिपके कागज़ को उतार कर उस पर कुछ लिखने लगा।*
*उसने लिखा-मेरा यकीन करिए…ये काम करता है!*

*मित्रों, ये कहानी जीवन के बारे में है। ये हमे सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी अपनी उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए और इस कहानी से ये भी शिक्षा मिलती है कि कुछ बहुत बड़ा पाने से पहले हमें अपनी ओर से भी कुछ देना होता है। जैसे उस आदमी ने नल चलाने के लिए मौजूद पूरा पानी उसमे डाल दिया। देखा जाए तो इस कहानी में पानी जीवन में मौजूद अच्छी चीजों को दर्शाता है, कुछ ऐसी चीजें जिसकी हमारे नजर में योग्यता है। किसी के लिए ये ज्ञान हो सकता है तो किसी के लिए प्रेम तो किसी और के लिए पैसा! ये जो कुछ भी है उसे पाने के लिए पहले हमें अपनी तरफ से उसे कर्म रुपी हैण्ड पंप में डालना होता है और फिर बदले में आप अपने योगदान से कहीं अधिक मात्रा में उसे वापस पाते हैं।*

Tuesday, November 5, 2019

अजीब खेल है उस परमात्मा का अनमोल बातें

*अजीब खेल है उस परमात्मा का*
         *लिखता भी वही है*
          *मिटाता भी वही है*
*भटकाता है राह तो*
*दिखाता भी वही है*
        *उलझाता भी वही है*
        *सुलझाता भी वही है*
*जिंदगी की मुश्किल घड़ी में*
*दिखता भी नहीं मगर*
        *साथ देता भी वही हैं*
           
https://youtu.be/AlEzXVpblBA

स्नेह वंदन



*भ्रम हमेशा*
       *रिश्तों को बिखेरता है;*
                *और प्रेम से.*
      *अजनबी भी बंध जाते है;*

*"किसी के लिए समर्पण करना मुश्किल नहीं है*

*मुश्किल है; उस व्यक्ति को ढूंढना जो, आप के "समर्पण" की कद्र करे;...!!*

           *स्नेह वंदन

हमने तो बस दिल दिया था आजमाने के लिए भजन लिरिक्स

हमने तो बस दिल दिया था आजमाने के लिए
हाथ भर का हो कलेजा दिल लगाने के लिए

जाना है तो जाइए पर मुड़ मुड़ कर ना देखिए
 उम्र भर देखेंगे रास्ता, तेरे आने के लिए


तेरे दिल में लाख है पर मेरे दिल में तू ही तू
 हम वक्त तेरे लिए है तू जगाने के लिए

लाख मंदिर में गए और मांगी हजारों मन्नतें
कौन सी मन्नत मांगी तुझको पाने के लिए
जय श्री राधे 

Ram bhajan lyrics

कोर्ट फैसला जो भी दिया है उसका सब सम्मान करो कौसल्या नन्दन राम लला के मन्दिर का निर्माण करो जब जब जब जब कोई फैसला होता होती सत्यजीत सदा ...